वात, पित्त तथा कफ दोष, जानें कारण तथा निवारण | Vata, Pitta and Kapha Doshas
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वात, पित्त तथा कफ दोष, जानें कारण तथा निवारण
हमारा शरीर पांच तत्वों से मिलकर बना है; जल (पानी), अग्नि (आग), पवन (हवा), पृथ्वी (धरती) और आकाश।
पानी 71% प्रतिशत रहता है, लगभग 12% शरीर पृथ्वी से जुड़ा हुआ है अर्थात् धरती।
इसके अलावा सांस लेना हमारे जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है अर्थात् हवा, यह लगभग 6 से 7% होती है; इसके अलावा आग का 4% और बाकी बचा हुआ भाग आकाश से जुड़ा हुआ है इसलिए कहा जाता है कि हमारा शरीर पांच तत्वों से मिलकर बना है और पंचतत्व में विलीन हो जाना है।
आइए समझते हैं कैसे त्रिदोष (वात पित्त तथा कफ) का विभाजन हमारे शरीर में है ओर किस तरीके से काम करते है।
वात दोष हवा तथा आकाश से मिलकर बना है। यह शरीर में गति तथा संचार का ध्यान रखता है।
पित्त दोष आग तथा जल से मिलकर बना है। यह पाचन क्रिया तथा पाचन आदि से जुडें परिवर्तन को नियंत्रण रखता है।
कफ दोष जल तथा पृथ्वी से मिलकर बना है। यह शरीर को ढांचा और मजबूती प्रदान करता है।
यह तीनों दोष वात, पित्त तथा कफ इस तरह हमारे शरीर में उपस्थित रहते हैं। जो अगर संतुलन में ना रहे तो हमें कई बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है। बच्चों में सबसे ज्यादा कफ देखने को मिलता है तथा बड़ो का बूढ़े होने तक वात तथा पित्त देखने को मिलते हैं।
सभी में यह तीनों दोष पाए जाते हैं किसी में वात दोष ज्यादा होता है तो किसी में पित्त या किसी में कफ।
तीनों दोषो में से 90 से 95% लोगों में दो दोष लगभग बराबर पाये जाते है और तीसरा दोष सबसे कम होता है। इसके अलावा 5 से 10% लोगों में ही यह तीनों दोष (वात, पित्त तथा कफ) संतुलन में पाए जाते हैं या फिर पुर्णत: असंतुलन में पाए जाते हैं।
तीनों दोषो का असंतुलन तब होता हैं जब हम गलत खाने-पीने की चीजें (तला भूना व पैकेट वाला) ज्यादा खाते है जिससे हम आलसी हो जाते है इसके अलावा चिंता ज्यादा अधिक करते है, नींद ज्यादा आती है। शरीर की गतिविधियां स्वस्थ न होने के कारण ये तीनों दोष बढ़ जाते है।
वात दोष की प्रवृति कब बढ़ती है?
ड्राई फ्रूट्स खाने से, चाय पीने से, कॉफी पीना, कच्ची सब्जियों का सलाद खाने से, राजमा ज्यादा खाने से। इसके अलावा अन्य खट्टी चीज जैसे इमली और फ्रिज में रखा हुआ खाना, चाहे वह ठंडा हो या गर्म। इन सब चीजो को खाने से वात दोष बढ़ता है।
वात दोष की वजह से शरीर में सूखापन, गैस का होना, पेट फूलना है, अपचन और शरीर में दर्द का होना, डर लगना, तनाव महसुस होना आदि रोग हो जाते है।
वात को कम करने के लिए, कच्ची धानी तेल (सरसों), देसी घी, गाय के दूध से बने सभी पदार्थ जैसे पनीर, घी, दही; इनसे ड्राइनेस कम होती है। शरीर पर तिल के तेल से मालिश करे आराम मिलेगा।
पित दोष की प्रवृति कब बढ़ती है?
अगर पित ज्यादा बढ़ता है तो बहुत नमकीन मसालेदार खट्टी चीजों से परहेज करें, उबले हुए अंडे या कच्चे अंडे से बनने वाली कोई चीज और पैकेट में बंद कोई चीज इनका सेवन ना करें।
पित दोष की वजह से शरीर में गर्मी बढ़ती है जिससे मसूड़ों से खून का आना है, महिलाओं में मासिक धर्म के दौरान ज्यादा खून आता है, एसिडिटी की समस्या का होना, हेयर फॉल की समस्या बढ़ना, गुस्से का आना, किसी व्यक्ति से जलन के भाव का आना आदि होते हैं।
मीठा तथा कड़वे पदार्थ का सेवन। मीठे में गुड़ शक्कर और गुड़ शक्कर से बनी चीज, करेला पित दोष को कम करने के लिए सबसे ज्यादा उपयोगी है करेला, क्योंकि शरीर को ठंडा करता है और इसके अलावा जिस भी फल में पानी की मात्रा अधिक पाई जाती हो उसका सेवन करें।
कफ दोष की प्रवृति कब बढ़ती है?
कफ दोष की वजह से शरीर की त्वचा ज्यादा ऑयली होने लगती है, इसके अलावा खांसी का ज्यादा होना, साइनस की समस्या, छींक ज्यादा आना, जुकाम होना, आलस के साथ मोटापा आना आदि।
कफ दोष की समस्या को दूर करने के लिए बाहर का तला भूना नहीं खाना चाहिए। घर पर बना थोड़ा चटपटा खाना सरसों के तेल तथा देसी घी में चल सकता है।
दुध से बने पदार्थ जैसे पनीर, देसी घी, रबड़ी आदि कम ही खाएं।
ताजे फल खाएं, अदरक की चाय और बेसन से बनी कोई भी चीज की पकौड़ी खा सकते हैं।
ऐसा करने से वात, पित्त तथा कफ दोष में कमी होगी और आपका शरीर शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ हो जाएगा।
कुछ तरीके/बातें जो ये बताती है कि आपको कितना वात, पित्त या कफ दोष हैं। जो भी आप अपने आप को मानते है कि आपमें ये उपस्थित है, उसको जोड़ करले जो बातें ज्यादा होगीं उतना ही दोष आप में है।
1. आपके शरीर की बनावट कैसी है? दुबला/पतला या मोटा/चर्बी वाला या सामान्य।
2. आपके चलने की चाल (गति), बोलने की/बात करने की गति कैसी है? कुछ लोग तेज चलना और तेज बोलना पसंद करते हैं या कुछ लोग सामान्य बोलना और चलना या कुछ लोग धीरे बोलना, चलना पसंद करते हैं।
3. आप मौसम के प्रति क्या भावना/विचार रखते है? जैसे किसी को गर्मियां ज्यादा पसंद है और किसी को सर्दियां ज्यादा पसंद है या गर्मी/सर्दी दोनों बराबर पसंद है।
4. पसीना आने की तरीका कैसे हैं? जैसे आप अगर ज्यादा शारीरिक क्रियाएं करते हैं तो उसके बाद आपको ज्यादा पसीना आता है, अगर कुछ नहीं करते तो कितना पसीना आता है।
5. आपको भूख कैसे लगती है? जैसे बहुत कम भूख लगना या बहुत ज्यादा भूख लगना या सामान्य भूख लगना। अगर शारीरिक क्रियाएं की है तो तब कम भूख लगना या बहुत ज्यादा भूख लगना या सामान्य भूख लगना।
6. आपकी त्वचा कैसी है? बहुत ही नार्मल है या बहुत ही रुखी है।
7. आपके बालों की स्थिति क्या है आपके बाल ज्यादा रूखे सूखे बने रहते हैं या नमी बनी रहती है।
8. आपकी आंखें, दांत और होंठ की स्थिति कैसी है? आपके होंठ पतले हैं, सॉफ्ट हैं या ज्यादा बड़े हैं या आपकी आंखें छोटी हैं और सोने जैसी लगती हैं या आपकी आंखें मीडियम हैं और थोड़ी लाल रहती हैं या आपकी बड़ी आंखें हैं और भौं पतली हैं।
9. हड्डियों के जोड़ में थोड़ी आवाज आती है या आपका माथा बड़ा है।
10. आपकी मेमोरी कैसी है आप जल्दी याद कर लेते हैं मगर जल्दी भूल जाते हैं आप सामान्य है याद करने में। या एक बार आप याद कर ले तो भूलते नहीं है या आप धीरे-धीरे समझते हैं और फिर हमेशा उसे लंबे टाइम तक याद रखते हैं।
11. आपका दिमाग जल्दी थक जाता है या फिर आपका दिमाग कम थकता है लेकिन गुस्से में जल्दी आ जाता है या आपका दिमाग हमेशा शांत रहता है चाहे कैसी भी परिस्थिति हो।
12. इसके अलावा आप ज्यादा सोचते हैं या आप तुरंत निर्णय लेते हैं या फिर आप निर्णय लेने में थोड़े स्लो हैं और बहुत ही आराम से सोचते हैं।
13. इसके अलावा आपकी नींद कैसी है? आप हल्की नींद लेते हैं जल्दी डिस्टर्ब हो जाते हैं या आप डिस्टर्ब होने के बाद, तुरन्त आराम से नींद वापस ले सकते हैं या आप गहरी नींद में सोते हैं और आप जल्दी नहीं उठ पाते हैं।
14. आपका इमोशनल स्वभाव कैसा है? आप बहुत जल्दी चिंतित हो जाते हैं, नर्वस हो जाते हैं या फिर आप नार्मल रहते हैं या जल्दी गुस्से में आ जाते हैं या आपमें धैर्य कम है?
इन सभी बातों से आप अपने दोष की प्रवृति जान सकते है।
Vata, Pitta and Kapha doshas, know the causes and Remedies
Our body is made up of five elements; Jal (water), Agni (fire), Pawan (air), Prithvi (earth) and Akash.
Water remains 71% percent, about 12% of the body is connected to the earth i.e. earth.
Also breathing is very important for our life i.e. air, it is around 6 to 7%; Apart from this, 4% of the fire and the remaining part is associated with the sky, so it is said that our body is made up of five elements and has to be merged into the five elements.
Let us understand how the tridoshas (Vata, Pitta and Kapha) are divided in our body and how they work.
Vata dosha is made up of air and sky. It takes care of movement and communication in the body.
Pitta dosha is made up of fire and water. It controls the process of digestion and the changes associated with digestion etc.
Kapha dosha is made up of water and earth. It provides structure and strength to the body.
These three doshas Vata, Pitta and Kapha are thus present in our body. Which if not in balance then we may have to face many diseases. Kapha is mostly seen in children and Vata and Pitta are seen in adults till old age.
All these three doshas are found in everyone, in some Vata dosha is more, in some Pitta or Kapha in some.
Out of all the three doshas, in 90 to 95% people, two doshas are found almost equally and the third dosha is least. Apart from this, in only 5 to 10% of the people all these three doshas (Vata, Pitta and Kapha) are found in balance or they are found in complete imbalance.
The imbalance of all the three doshas occurs when we eat more of wrong food and drink (fried, fried and packet) due to which we become lazy, besides this we worry more and sleep more. Due to the unhealthy activities of the body, these three doshas increase.
When does the tendency of Vata Dosha increase?
By eating dry fruits, drinking tea, drinking coffee, eating salad of raw vegetables, eating more kidney beans. Apart from this, other sour things like tamarind and food kept in the refrigerator, whether it is cold or hot. Eating all these things increases Vata dosha.
Dryness in the body, gas, flatulence, indigestion and body pain, fear, feeling of tension, etc., are caused due to Vata dosha.
To reduce Vata, raw rapeseed oil (mustard), desi ghee, all products made from cow’s milk like paneer, ghee, curd; They reduce dryness. Massaging the body with sesame oil will give relief.
When does the tendency to blame the father increase?
If bile increases excessively, then avoid very salty spicy sour things, do not consume boiled eggs or anything made from raw eggs and anything that is closed in a packet.
Due to pitta dosha, the heat in the body increases due to which gums bleed, women bleed more during menstruation, acidity problem, hair fall problem increases, anger comes, jealousy with a person. Feelings etc. happen.
Consumption of sweet and bitter substances. Bitter gourd is most useful for reducing pitta dosha, because it cools the body and apart from this, consume any fruit which has high water content.
When does the tendency of cough defect increase?
Due to kapha dosha, the skin of the body becomes more oily, apart from this, excessive cough, sinus problem, excessive sneezing, cold, obesity along with laziness, etc.
To overcome the problem of Kapha dosha, fried food should not be eaten outside. A little spicy food made at home can be served in mustard oil and desi ghee.
Eat products made of milk like paneer, desi ghee, rabri etc. less.
Eat fresh fruits, you can eat ginger tea and dumplings of anything made from gram flour.
By doing this Vata, Pitta and Kapha doshas will decrease and your body will become physically and mentally healthy.
There are certain ways/things that tell how much Vata, Pitta or Kapha dosha you have. Whatever you believe yourself that this is present in you, add to that the more the things, the more the fault is in you.
1. What is your body type? lean/thin or fat/fat or normal.
2. How is your walking pace, speaking/talking speed? Some people like to walk fast and speak fast or some people like to speak and walk normally or some people like to speak and walk slowly.
3. How do you feel about the weather? Like someone likes summers more and someone likes winters more or likes both summer/winter equally.
4. How is the method of sweating? Like if you do more physical activities then you sweat more, if you do nothing then how much you sweat.
5. How do you feel hungry? Like feeling very less hungry or feeling very hungry or normal appetite. If you have done physical activities, then you may feel less appetite or excessive appetite or normal appetite.
6. How is your skin? Is it very normal or is it very dry.
7. What is the condition of your hair, does your hair remain very dry or retain moisture.
8. How is the condition of your eyes, teeth and lips? Your lips are thin, soft or extra large or your eyes are small and look like gold or your eyes are medium and slightly red or you have big eyes and thin brows.
9. There is little sound in the joint of bones or your forehead is big.
10. How is your memory, you remember quickly but forget quickly, you are normal in remembering. Or once you remember, you don’t forget or you understand slowly and then always remember it for a long time.
11. Your mind gets tired easily or your mind gets tired less but gets angry easily or your mind always remains calm no matter what the situation.
12. Apart from this, you think more or you take quick decisions or you are a little slow in taking decisions and think very comfortably.
13. Also how is your sleep? You sleep lightly and are easily disturbed, or you can easily get back to sleep after being disturbed, or you sleep deeply and can’t wake up early.
14. How is your emotional nature? Do you get worried very quickly, get nervous or do you remain normal or get angry quickly or do you have less patience?
From all these things, you can know the nature of your fault.